Governor Returned Bill Related to Reservation

झारखंड में ओबीसी और अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षण की पूर्व निर्धारित सीमा नहीं बढ़ेगी। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने झारखंड में ओबीसी सहित अन्य श्रेणी के आरक्षण की सीमा बढ़ाने से संबंधित विधेयक ‘Jharkhand Reservation of Vacancies in Posts and Services (Amendment) Bill, 2022‘ को राज्य सरकार को वापस लौटा दिया है।

राज्यपाल ने विधेयक पर भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की सलाह पर निर्णय लेते हुए उसे राज्य सरकार को वापस लौटा दिया है। इसके साथ ही उन्होंने अटॉर्नी जनरल के मंतव्य को भी साथ भेजते हुए उसकी समीक्षा करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।

अटॉर्नी जनरल ने अपने मंतव्य में आरक्षण विधेयक को सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के विपरीत बताया है। उनके अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने इंदिरा साहनी मामले में जातिगत आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत निर्धारित कर दी है, जबकि उक्त विधेयक में इस सीमा को बढ़ाकर 67 प्रतिशत करने प्रस्ताव था। उन्होंने अपने मंतव्य में आरक्षण से संबंधित अन्य न्यायादेशों का भी जिक्र किया है।

राज्य सरकार ने 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति से संबंधित विधेयक के साथ ही आरक्षण सीमा बढ़ाने से संबंधित विधेयक को विधानसभा से पारित कराकर राज्यपाल के अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा था। साथ ही दोनों विधेयकों को राष्ट्रपति को भेजने का प्रस्ताव दिया गया था, ताकि दोनों विधेयकों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जा सके।

बता दें कि तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस ने 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति से संबंधित विधेयक को पहले ही यह कहते हुए राज्य सरकार को वापस लौटा दिया था कि राज्य विधानमंडल को नियोजन से संबंधित निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। साथ ही यह सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के आदेशों के विरुद्ध है।